मेरी किताब (उपन्यास) "रक्षक राम"


आने वाले 1-जुलाई-2016 को मेरी किताब (उपन्यास) "रक्षक राम" रिलीज हो चुकी है। यह किताब (उपन्यास) बेहद प्रेरणादायी और मनोरंजक है। इस किताब को लिखने की सबसे बड़ी वजह रही- समाज में बढ़ती बुराइयाँ जिनके निवारण हेतु मैंने यह पुस्तक लिखा। 
मैंने समाज का अध्यन किया और पाया की समाज में जागरूकता का स्तर तो बढ़ा है पर अच्छाईया और आदर्श अब कमजोर पड़ गए है। लोगों को एक अच्छे विचारधारा और इस यकीन की बेहद जरूरत है कि "यदि वो अपने ऊपर विश्वास करना सीख जाए, अच्छे गुणों को अपनाना सीख जाए तो निश्चित ही एक दिन वो जीवन की उस सफलता को पा सकते है जिसके वो सपने देखते है, और अपने ऊपर विश्वास करना कैसे सीखे, कैसे आने जीवन में आने वाली उन कठिनाईयों और मुश्किलों का सामना करें जिसके बारें में हम किसी को बता भी नहीं सकते, बस इन्ही मुश्किल और जीवन के लिए बेहद जरूरी प्रश्नों का उत्तर यह किताब बताती है।"
मैंने इन सभी विषयों के हल हेतु इन्हे ध्यान में रख कर सोचा और तब मुझे "रामायण और प्रभु श्री रामचन्द्र के रूप में मुझे एक ऐसा विषय और पात्र" मिला जिसमें सुधार के साथ-साथ नई चीजों को उनके सही स्वरूप में दिखाया जा सकना संभव लगा, बस इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु यह किताब है। 
हम सभी अपने जीवन में कभी न कभी इन तीन चीज़ों के बारें अवश्य सोचते है-
1- ईश्वर। 
2- प्यार और उसका सच्चा स्वरुप। 
3- हम (स्वयं के बारें में)।

इस किताब में इन रहस्य्मयी विषयों का सही उत्तर देने का कोशिश किया गया है, मुझे पूरी उम्मीद है इस किताब को पढ़ने वाला इन विषयों को गहराई और सच्चाई से समझ पाएगा न कि वर्षों से चली आ रही बनी बनाई अंधविश्वासी और काल्पनिक बातों के।
यह किताब साथ ही रामायण के कई रहस्यों से भी पर्दा उठती है और उन्हें एक सत्य के रूप में प्रस्तुत करती है। 
एक बात यह भी सत्य है कि- "यदि इंसान स्वयं को ना जीत सका, अपने-आप को ना समझ सका वह इंसान अपने जीवन में सफलता से बहुत दूर है, फिर बाद में किस्मत को दोष देने से कोई फायदा होगा।" 
उम्मीद करता हूं यह किताब (उपन्यास) आपको बेहद पसंद आएगी और यह आपके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करते हुए, आपको सफलता की ओर ले जाएगी तथा नए रहस्यों और सत्य से आपका परिचय करवाएगी। धन्यवाद। --सूरज पटेल
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महिलाये-उनकी सुरक्षा, सरकार और समाज

आज कल के न्यूज़ पेपरों में "नौकरी के चक्कर में धोखा-रेप" आदि आर्टिकल खूब छपते है. सबसे बड़ी बात लोग ये सब न्यूज़ पढ़ते भी है फिर भी वो वही काम दोहराते है. आज-कल इस प्रकार के झासों में काम उम्र की युवतियां और महिलाये ज्यादा फंस रही है. महिलाये  सवेंदनशील और भावुक होती है इसी वजह से इस प्रकार के दलाल या बिचौलिये उनको जल्दी प्रभाव में लेते है.आज की महिला समाज में अपने हित-अपने स्थान के लिए लड़ रही है, वो पुरुषों के बराबर का स्थान चाहती है और ये एक अच्छी बात है,,पर उन्हें समाज के तौर-तरीके जल्द ही सीखने होंगे। उन्हें अपने अच्छे-बुरे के बारे में पहचानना आना चाहिए। यदि वे ही ऐसी मूर्खता करेंगी तो लोग तो उसका फ़ायदा उठाएंगे ही. आज के समाज में उन्हें ऐसी मानसिकता छोड़नी होगी की "कोई भी उनकी मदद सिर्फ इस वजह से करेगा की वो एक महिला है."उन्हें समाज में अपनी पहचान अपने दम पर बनाना चाहिए और ऐसी कई महिलाये आज भी इस समाज के लिए आदर्श है कि उन्होंने अपनी हिम्मत और अच्छाई के दम पर समाज में अपनी एक अलग पहचान कायम की।

मेरे पास आज-कल के न्यूज़ पेपरों की वो कटिंग्स मौजूद है जिसमें महिलाओँ को नौकरी के झांसे में फंसा कर उनका शोषण किया गया--






                ऐसे ही ना जाने कितनी खबरे प्रतिदिन अखबारों में निकलती रहती है.

                 अब तो सरकार भी लोगों को जागरूक करने लगी है-



अब समय आ गया है की महिलाये खुद अपनी रक्षा करे सरकार या समाज दोनों पर से निर्भरता कम कर खुद को सजग, ईमानदार और शसक्त बनाये  ताकि कोई भी उनका फ़ायदा न उठा सके.क्योंकि "जब आप मजबूत होते है तो हर कोई आपकी मदद करना चाहता है पर यदि आप मजबूत नहीं तो हर पल संघर्ष के लिए तैयार रहिये।"
इस प्रकार आप खुद को सावधान कर-बुराइयों से बचाकर भी देश के विकाश में योगदान दे सकती/सकते है. क्योंकि "एक देश की सच्चे मायनों में विकाश का अर्थ वहाँ के जनता की खुशहाली ही है, और यही सच्चा विकाश है."

-सूरज (सुमित) पटेल 
Email add- surajsumitpatel@gmail.com
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विकाश के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण बेहद आवश्यक

हाल ही में आयी सयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 1.2 अरब बेहद गरीब लोगों में अकेले एक तिहाई लोग भारत में ही है. भारत अपने सभी क्षेत्रों में विकाश के बावजूद विकशित देशों से अभी बहुत पीछे है। इसका एक बड़ा कारण 'जनसंख्या में बढ़ोत्तरी' है। भारतवर्ष में लगभग हर एक व्यक्ति कुछ न कुछ काम तो कर रहा है पर अधिकांश को पूर्ण रोजगार प्राप्त नहीं है। जनसंख्या में हो रही भारी बढ़ोत्तरी के कारण जहाँ पर सिर्फ 2 व्यक्तियों से काम चल सकता है वहाँ 10 व्यक्ति लगे हुए है, और उत्पादन का स्तर वही है जो 2 व्यक्तियों से हो सकता था, पर सेवाएँ सभी में विभाजित है।
सरकार को इसके लिए कड़े नियम बनाने चाहिये और यह सिर्फ सरकार का ही नहीं बल्कि भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह "2 बच्चा नियम" को अपनाये और देश के विकाश में योगदान दे।
सूरज पटेल, लखनऊ
surajsumitpatel@gmail.com
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