महिलाये-उनकी सुरक्षा, सरकार और समाज

आज कल के न्यूज़ पेपरों में "नौकरी के चक्कर में धोखा-रेप" आदि आर्टिकल खूब छपते है. सबसे बड़ी बात लोग ये सब न्यूज़ पढ़ते भी है फिर भी वो वही काम दोहराते है. आज-कल इस प्रकार के झासों में काम उम्र की युवतियां और महिलाये ज्यादा फंस रही है. महिलाये  सवेंदनशील और भावुक होती है इसी वजह से इस प्रकार के दलाल या बिचौलिये उनको जल्दी प्रभाव में लेते है.आज की महिला समाज में अपने हित-अपने स्थान के लिए लड़ रही है, वो पुरुषों के बराबर का स्थान चाहती है और ये एक अच्छी बात है,,पर उन्हें समाज के तौर-तरीके जल्द ही सीखने होंगे। उन्हें अपने अच्छे-बुरे के बारे में पहचानना आना चाहिए। यदि वे ही ऐसी मूर्खता करेंगी तो लोग तो उसका फ़ायदा उठाएंगे ही. आज के समाज में उन्हें ऐसी मानसिकता छोड़नी होगी की "कोई भी उनकी मदद सिर्फ इस वजह से करेगा की वो एक महिला है."उन्हें समाज में अपनी पहचान अपने दम पर बनाना चाहिए और ऐसी कई महिलाये आज भी इस समाज के लिए आदर्श है कि उन्होंने अपनी हिम्मत और अच्छाई के दम पर समाज में अपनी एक अलग पहचान कायम की।

मेरे पास आज-कल के न्यूज़ पेपरों की वो कटिंग्स मौजूद है जिसमें महिलाओँ को नौकरी के झांसे में फंसा कर उनका शोषण किया गया--






                ऐसे ही ना जाने कितनी खबरे प्रतिदिन अखबारों में निकलती रहती है.

                 अब तो सरकार भी लोगों को जागरूक करने लगी है-



अब समय आ गया है की महिलाये खुद अपनी रक्षा करे सरकार या समाज दोनों पर से निर्भरता कम कर खुद को सजग, ईमानदार और शसक्त बनाये  ताकि कोई भी उनका फ़ायदा न उठा सके.क्योंकि "जब आप मजबूत होते है तो हर कोई आपकी मदद करना चाहता है पर यदि आप मजबूत नहीं तो हर पल संघर्ष के लिए तैयार रहिये।"
इस प्रकार आप खुद को सावधान कर-बुराइयों से बचाकर भी देश के विकाश में योगदान दे सकती/सकते है. क्योंकि "एक देश की सच्चे मायनों में विकाश का अर्थ वहाँ के जनता की खुशहाली ही है, और यही सच्चा विकाश है."

-सूरज (सुमित) पटेल 
Email add- surajsumitpatel@gmail.com
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